विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के सदस्य और कट्टर हिंदूवादी नेता आचार्य धर्मेंद्र का सोमवार सुबह आठ बजे जयपुर में निधन हो गया। वे पिछले एक महीने से सवाईमानसिंह अस्पताल में भर्ती थे। 80 वर्षीय आचार्य धर्मेंद्र आंत की बीमारी से ग्रसित थे। डॉ.स्वाति श्रीवास्तव के नेतृत्व में चिकित्सकों की टीम उनका इलाज कर रही थी। आचार्य धर्मेंद्र का अंतिम संस्कार मंगलवार को सुबह दस बजे विराट नगर में होगा। उनका शव सोमवार दोपहर में जयपुर से विराटनगर ले जाया गया है।
देश के प्रधानमंत्री ने मनाया शोक
आचार्य धर्मेंद्र राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय रहे थे। विश्व हिंदू परिषद से लंबे समय तक जुड़े रहते हुए वे काफी चर्चा में रहे थे। वे राम मंदिर आंदेालन के दौरान बेबाकी से बोलते थे। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में जब न्यायालय का फैसला आने वाला था तब उन्होंने कहा था कि मैं आरोपित नंबर एक हूं। सजा से डरना क्या, जो किया सबके सामने किया। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आड़वाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और स्व.कल्याण सिंह के साथ आचार्य धर्मेंद्र को भी आरोपित माना गया था
आचार्य धर्मेंद्र का जीवन परिचय
महात्मा रामचंद्र वीर महाराज के पुत्र आचार्य धर्मेंद्र का पूरा जीवन हिंदी और हिंदुत्व की रक्षा के लिए समर्पित रहा है। उनका जन्म 9 जनवरी,1942 कोगुजरात के मालवाड़ा में हुआ था । पिता महात्मा रामचंद्र वीर के आदर्शों और व्यक्तित्व का इन पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि इन्होंने 13 साल की उम्र में वज्रांग नाम से एक समाचार-पत्र निकाला। राम मंदिर आंदोलन में उनके सहयोगी रहे विहिप के पूर्व केंद्रीय मंत्री जुगल किशोर ने बताया कि स्व.आचार्य धर्मेंद्र ने राम मंदिर आंदोलन को आक्रामक तरीके से उठाया था। देशभर सभाएं की थी।